Bhagawad gita

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bhagawadgita
पवित्र गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में वर्णित पूर्ण परमात्मा के सांकेतिक मंत्र "ॐ, तत्, सत्" को पूर्ण संत से प्राप्त करके सतभक्ति करने से परमात्मा की प्राप्ति होगी और वर्तमान में इन मंत्रों को देने के एकमात्र अधिकारी पूर्ण संत, सतगुरु रामपाल जी महाराज हैं।
Iskcon temple
इस्कॉन वाले यह नहीं समझते कि गीता अध्याय 4 श्लोक 5 में काल ने कहा कि उसके और अर्जुन के कई जन्म हो चुके हैं। ब्रह्मा, विष्णु, शिव भी जन्म-मरण के चक्र में हैं। ये त्रिलोक के देवता हैं, पूर्ण परमात्मा नहीं। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें अद्भुत पुस्तक ज्ञान गंगा।
FactfulDebatesYouTubeChannel
‘‘गीता ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा’’:- जब कुरुक्षेत्र के मैदान में पवित्र गीता जी का ज्ञान सुनाते समय अध्याय 11 श्लोक 32 में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि ‘अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट हुआ हूँ।‘ जरा सोचें कि श्री कृष्ण जी तो पहले से ही श्री अर्जुन जी के साथ थे। यदि पवित्र गीता जी के ज्ञान को श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रवृत्त हुआ हूँ। - जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज अधिक जानकारी के लिए देखें Factful Debates YouTube Channel
InternationalGitaMahotsav
पवित्र गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में वर्णित पूर्ण परमात्मा के सांकेतिक मंत्र "ॐ, तत्, सत्" को पूर्ण संत से प्राप्त करके सतभक्ति करने से परमात्मा की प्राप्ति होगी और वर्तमान में इन मंत्रों को देने के एकमात्र अधिकारी पूर्ण संत, सतगुरु रामपाल जी महाराज हैं।
KrishnaLove ,DevotionUnites
तीन लोक का स्वामी गीता अध्याय 7 श्लोक 25 में काल ने कहा कि वह अपनी योगमाया से छिपा रहता है और लोग उसे नहीं जानते। इस्कॉन के भक्त यह नहीं समझते कि काल ने ही श्रीकृष्ण जी के शरीर में प्रवेश किया था, जबकि श्रीकृष्ण जी तो त्रिलोक के स्वामी हैं, न कि पूर्ण परमात्मा। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें अनमोल पुस्तक ज्ञान गंगा।
KrishnaLove ,DevotionUnites
तीन लोक का स्वामी गीता अध्याय 7 श्लोक 25 में काल ने कहा कि वह अपनी योगमाया से छिपा रहता है और लोग उसे नहीं जानते। इस्कॉन के भक्त यह नहीं समझते कि काल ने ही श्रीकृष्ण जी के शरीर में प्रवेश किया था, जबकि श्रीकृष्ण जी तो त्रिलोक के स्वामी हैं, न कि पूर्ण परमात्मा। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें अनमोल पुस्तक ज्ञान गंगा।
foodie ,sewa
संत रामपाल जी महाराज जी के सानिध्य में 11 सतलोक आश्रमों में नि:शुल्क विशाल धर्म भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। इस दिन 511 वर्ष पूर्व कबीर जी ने 18 लाख साधु संतों को ऐसे ही एक दिव्य धर्म भंडारे से तृप्त किया था। इस महासमागम में संत गरीबदास जी महाराज जी की अमरवाणी का अखंड पाठ, रक्त दान शिविर, दहेज मुक्त विवाह जैसे अद्भुत समाज सेवी कार्य भी किये जायेंगे। आश्रमों में किया जा रहा है।
Bhandara
आज से 511 वर्ष पूर्व कपड़ा बुनकर आजीविका चलाने वाले समर्थ कबीर परमेश्वर ने तीन दिन तक 18 लाख साधु संतों को मोहन भंडारे से तृप्त किया था। इसी उपलक्ष्य में संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में 11 आश्रमों में विशाल धर्म भंडारे का आयोजन किया जायेगा, जिसमें आप सभी परिवार सहित सादर आमंत्रित हैं।
Bhandara_Invitation_To_World
आज से 511 वर्ष पूर्व काशी नगर में पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी ने अपने अन्य केशो बंजारा रूप में 18 लाख साधु संतों को तीन दिनों तक खुला भंडारा कराया था। इसी उपलक्ष्य में नि:शुल्क विशाल भंडारा व कई धार्मिक आयोजन किये जायेंगे। संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में होने वाले इस महासमागम में पूरा विश्व सादर आमंत्रित है।
Meditation
उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम, फिरता दाणे दाणे नूं। सर्व कला सतगुरु साहेब की, हरि आये हरियाणे नूं।। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में कबीर परमेश्वर की लीला के 511 वें दिव्य धर्म यज्ञ दिवस के उपलक्ष्य में 11 सतलोक आश्रमों में विशाल सत्संग, अखंड पाठ, शुद्ध देसी घी से निर्मित विशाल भंडारा, रक्तदान शिविर, नशामुक्त कार्यक्रम, दहेजमुक्त विवाह जैसे अद्भुत समाज सेवी कार्यक्रम सम्पन्न होंगे।
DurgaPuja
व्रत करना एक शास्त्र विरुद्ध साधना है। क्योंकि गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में व्रत करने के लिए मना किया गया है। सूक्ष्मवेद में कहा गया है: गरीब, प्रथम अन्न जल संयम राखै, योग युक्त सब सतगुरू भाखै। अर्थात अन्न तथा जल को सीमित खावै, न अधिक और न ही कम, यह शास्त्र अनुकूल भक्ति साधना है।
DurgaPuja
व्रत करना एक शास्त्र विरुद्ध साधना है। क्योंकि गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में व्रत करने के लिए मना किया गया है। सूक्ष्मवेद में कहा गया है: गरीब, प्रथम अन्न जल संयम राखै, योग युक्त सब सतगुरू भाखै। अर्थात अन्न तथा जल को सीमित खावै, न अधिक और न ही कम, यह शास्त्र अनुकूल भक्ति साधना है।
DurgaMaa
भूखा रहने की जगह ईर्ष्या का त्याग करें, क्योंकि माता दुर्गा बुराइयों के त्याग से प्रसन्न होती हैं। अधिक जानकारी के लिए देखें संत रामपाल जी महाराज यूट्यूब चैनल।
DurgaMaa
भूखा रहने की जगह ईर्ष्या का त्याग करें, क्योंकि माता दुर्गा बुराइयों के त्याग से प्रसन्न होती हैं। अधिक जानकारी के लिए देखें संत रामपाल जी महाराज यूट्यूब चैनल।
GyanGanga_AudioBook
व्रत कैसे करें? झूठ बोलने से व्रत (त्याग) करें। इससे माता प्रसन्न होंगी। सही आचरण ही भक्ति का शुरुआती रूप है। अधिक जानकारी के लिए देखें संत रामपाल जी महाराज यूट्यूब चैनल।