श्री गंगा असंख्य सद्गुणों का अनन्त मनोरम प्रवाह है। स्वर्ग लोक से भगवान विष्णु के चरणों से महादेव शिव जी के शीष में अवतरित होकर हिमालय से गंगा सागर तक का प्रवाह ज्ञान का प्रवाह है, आनन्द का प्रवाह है, सत्व का प्रवाह है और जीवन्त चेतना का प्रवाह है। पतित पावनी गंगा रोग, शोक, संताप, दारिद्र, ताप, पाप, आलस्य, उद्वेग, चिन्ता, अज्ञान और माया के तिमिर की शमनकारिणी हैं। ऑनलाइन खरीदने के लिए संपर्क करे :- Phone :011-43029315 Vedic Arts and Crafts Promotion Pvt. Ltd.